Allah Ke Quran Main Insaniyat Ke 99 Hukum

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अल्लाह के कुरान में इंन्सानियत (मानवता) को 100 के करीब सीधे हुक्म..!

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1. बदज़ुबानी से बचो (3: 159)
2. गुस्से को पी जाओ (3: 134)
3. दूसरों के साथ भलाई करो (4:36)
4. घमंड से बचो (7:13)
5. दूसरों की गलतियां माफ करो (7: 199)
6. लोगों से नरमी से बात करो (20:44)
7. अपनी आवाज़ नीची रखों (31:19)
8. दूसरों का मज़ाक न उड़ाओ (49:11)
9. वालदैन का इज़्ज़त और उनकी फरमानबरदारी करो (17:23)
10. वालदैन की बेअदबी से बचो और उनके सामने उफ़ तक न कहो (17:23)
11. इजाज़त के बिना किसी के कमरे मे (निजी कक्ष) में दाखिल न हो (24:58)
12. आपस में क़र्ज़ के मामलात लिख लिया करो (2: 282)
13. किसी की अंधी तक़लीद मत करो (2: 170)
14. अगर कोई तंगी मे है तो उसे कर्ज़ उतारने में राहत दो (2: 280)
15. ब्याज मत खाओ (2: 275)
16. रिश्वत मत खाओ (2: 188)
17. वादों को पूरा करो (2: 177)
18. आपस में भरोसा कायम रखें (2: 283)
19. सच और झूठ को आपस में मिक्स न करो (2:42)
20. लोगों के बीच इंसाफ से फैसला करो (4:58)
21. इंसाफ पर मज़बूती से जम जाओ (4: 135)
22. मरने के बाद हर शख्स की दोलत उसके करीबी रिश्तेदारों में बांट दो (4: 7)
23. औरतों का भी विरासत में हक है (4: 7)
24. यतीमों का माल नाहक मत खाओ (4:10)
25. यतीमों का ख्याल रखो (2: 220)
26. एक दूसरे का माल नाजायज़ तरीक़े से मत खाओ (4:29)
27. किसी के झगड़े के मामले में लोगों के बीच सुलह कराओ (49: 9)
28. बदगुमानी से बचो (49:12)
29. गवाही को मत छुपाओ (2: 283)
30. एक दूसरे के भेद न टटोला करो और किसी की चुगली मत करो (49:12)
31. अपने माल में से खैरात करो (57: 7)
32. मिसकीन गरीबों को खिलाने की तरग़ीब दो (107: 3)
33. जरूरतमंद को तलाश कर उनकी मदद करो (2: 273)
34. कंजूसी और फिज़ूल खर्ची से बचा करो (17:29)
35. अपनी खैरात लोगों को दिखा ने के लिये और एहसान जताकर बर्बाद मत करो (2: 264)
36. मेहमानों की इज़्ज़त करो (51:26)
37. भलाई पर खुद अमल करने के बाद दूसरों को बढ़ावा दो (2:44)
38. ज़मीन पर फसाद मत करो (2:60)
39. लोगों को मस्जिदों में अल्लाह के ज़िक्र से मत रोको (2: 114)
40. सिर्फ उन से लड़ो जो तम से लड़ें (2: 190)
41. जंग के आदाब का ख्याल रखना (2: 191)
42. जंग के दौरान पीठ मत फेरना (8:15)
43. दीन में कोई ज़बरदस्ती नहीं (2: 256)
44. सभी पैगम्बरों पर इमान लाओ (2: 285)
45. हालत माहवारी में औरतों के साथ संभोग न करो (2: 222)
46. ​​मां बच्चों को दो साल तक दूध पिलाएँ (2: 233)
47. खबर दार ज़िना के पास किसी सूरत में नहीं जाना (17:32)
48. हुक्मरानो को खूबीे देखकर चुना करो (2: 247)
49. किसी पर उसकी ताकत से ज़्यादा बोझ मत डालो (2: 286)
50. आपस में फूट मत डालो (3: 103)
51. दुनिया की तखलीक चमत्कार पर गहरी चिन्ता करो (3: 191)
52. मर्दों और औरतों को आमाल का सिला बराबर मिलेगा (3: 195)
53. खून के रिश्तों में शादी मत करो (4:23)
54. मर्द परिवार का हुक्म मरान है (4:34)
55. हसद और कंजूसी मत करो (4:37)
56. हसद मत करो (4:54)
57. एक दूसरे का कत्ल मत करो (4:92)
58. खयानत करने वालों के हिमायती मत बनो (4: 105)
59. गुनाह और ज़ुल्म व ज़यादती में मदद मत करो (5: 2)
60. नेकी और भलाई में सहयोग करो (5: 2)
61. अक्सरियत मे होना सच्चाई सबूत नहीं (6: 116)
62. इंसाफ पर कायम रहो (5: 8)
63.जुर्म की सज़ा मिशाली तौर में दो (5:38)
64. गुनाह और बुराई आमालियों के खिलाफ भरपूर जद्दो जहद करो (5:63)
65. मुर्दा जानवर, खून, सूअर का मांस निषेध हैं (5: 3)
66. शराब और नशीली दवाओं से खबरदार (5:90)
67. जुआ मत खेलो (5:90)
68. दूसरों के देवताओं को बुरा मत कहो (6: 108)
69. लोगों को धोखा देने के लिये नाप तौल में कमी मत करो (6: 152)
70. खूब खाओ पियो लेकिन हद पार न करो (7:31)
71. मस्जिदों में इबादत के वक्त अच्छे कपड़े पहनें (7:31)
72. जो तुमसे मदद और हिफाज़त और पनाह के तलबगार हो उसकी मदद और हिफ़ाज़त करो (9: 6)
73. पाक़ी चुना करो (9: 108)
74. अल्लाह की रहमत से कभी निराश मत होना (12:87)
75. अज्ञानता और जिहालत के कारण किए गए बुरे काम और गुनाह अल्लाह माफ कर देगा (16: 119)
76. लोगों को अल्लाह की तरफ हिकमत और नसीहत के साथ बुलाओ (16: 125)
77. कोई किसी दूसरे के गुनाहों का बोझ नहीं उठाएगा (17:15)
78. मिसकीनी और गरीबी के डर से बच्चों की हत्या मत करो (17:31)
79. जिस बात का इल्म न हो उसके पीछे मत पड़ो। (17:36)
80. निराधार और अनजाने कामों से परहेज़ करो (23: 3)
81. दूसरों के घरों में बिला इजाज़त मत दाखिल हो (24:27)
82. जो अल्लाह में यकीन रखते हैं, अल्लाह उनकी हिफाज़त करेगा (24:55)
83. ज़मीन पर आराम और सुकून से चलो (25:63)
84. अपनी दुनियावी ज़िन्दगी को अनदेखा मत करो (28:77)
85. अल्लाह के साथ किसी और को मत पुकारो (28:88)
86. समलैंगिकता से बचा करो (29:29)
87. अच्छे कामों की नसीहत और बुरे कामों की ममानत करो (31:17)
88. ज़मीन पर शेखी और अहंकार से इतरा कर मत चलो (31:18)
89. औरतें अपने बनाओ सिनघार तकब्बुर न करें (33:33)
90. अल्लाह सभी गुनाहों को माफ कर देगा सिवाय शिर्क के (39:53)
91. अल्लाह की रहमत से मायूस मत हो (39:53)
92. बुराई भलाई से दफा करो (41:34)
93. सलाह से अपने काम अंजाम दो (42:38)
94. तुम से ज़्यादा इज़्ज़त वाला वो है जिसने सच्चाई और भलाई इख्तियार की हो (49:13)
95. दीन मे रहबानियत मौजूद नहीं (57:27)
96. अल्लाह के यहां इल्म वालों के दरजात बुलंद हैं (58:11)
97. ग़ैर मुसलमानों के साथ उचित व्यवहार और दयालुता और अच्छा व्यवहार करो (60: 8)
98. अपने आप को नफ़्स की हर्ष पाक रखो (64:16)
99. अल्लाह से माफी मांगो वो माफ करने और रहम करनेवाला है (73:20).

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