हर शादीशुदा मर्द औरत मरने से पहले एक दूसरे की कद्र करें

हर शादीशुदा मर्द और औरत मरने से पहले एक दूसरे की कद्र करें | हर शादीशुदा मर्द औरत जरूर पढ़े | Shadishuda Mard Aurat Marne Ke Pehle Ek Dusre Ki Qadr Kare - हम अक्सर देखते है की शौहर के मरने के बाद बीवी रोकर कहती है अच्छा आदमी था, मेरा खयाल रखता था अब तारीफे शुरू हो गयी, और इसी तरह जब बीवी मर जाती है
हर शादीशुदा मर्द और औरत मरने से पहले एक दूसरे की कद्र करें | हर शादीशुदा मर्द औरत जरूर पढ़े | Har Shadishuda (Married) Mard (Husband) Aurat (Wife) Marne Ke Pehle Ek Dusre Ki Qadr Kare:

तकरीर का खुलासा ये है की मियाँ बीवी एक दूसरे के करीब रहकर एक दूसरे की कद्र करे, हम अक्सर देखते है की शौहर के मरने के बाद बीवी रोकर कहती है अच्छा आदमी था, मेरा खयाल रखता था अब तारीफे शुरू हो गयी, और इसी तरह जब बीवी मर जाती है तो शौहर बैठकर रोता है बड़ी अच्छी थी मेरा खयाल रखती थी तो मरने के के बाद एक दूसरे की कद्र करने की बजाए जिंदगी में एक दूसरे की कद्र करना सीखे, इसलिए इस्लाम ने मुहब्बत की शादी (Love Marriage) यानी शादी के पहले मुहब्बत की बजाए शादी के बाद की मुहब्बत (Love After Marriage) का तसव्वुर पेश किया.

जब शादी हुई अब मियाँ बीवी जितनी भी मुहब्बत का वक़्त गुजारेंगे अल्लाह रब्बुल इज्जत की तरफसे उतना अज्र पाएंगे लिहाजा एक नाराज हो जाये तो दूसरा मना ले और उस मनाने को अपनी शिकश्त न समझे बल्कि जीत समझे की मैंने रूठे हुए को मनाकर बाजी जीत ली, की अपने घर को आबाद रखा.
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हदीस उठाकर देख लो अल्लाह के नबि ﷺ का अपनी बीवियों के साथ कैसा रवैय्या था, मेरे अजीजों आपको क्या बताऊँ ! अल्लाह की कसम में अगर ऐसी सुन्नतों पे अमल किया जाये तो मियाँ बीवी का रिश्ता खूबसूरत होगा, हम अपने हाथों से अपने घर को उजाड़ते है और शरीयत व सुन्नत की तालीमात को पीछे डाल देते है
एक हदीस पाक में आता है की नबि करीम ﷺ ने फरमाया की जब कोई शौहर अपने बीवी को मुस्कुराकर देखता है और बीवी शौहर को देखकर मुस्कुराती है तो अल्लाह रब्बुल इज्जत दोन्हों को मुस्कुराकर देखता है अगर ऐसी हदीसे हमारे सामने रहेंगी तो हमारा घर दुनिया में जन्नत का मजा देने लग जायेगा,


फुरसते ज़िन्दगी कम है मुहब्बतों के लिए
लाते है कहाँ से वक़्त लोग नफरतों के लिए

यह जिंदगी इतनी थोड़ी है की प्यार से बन्दा गुजारना चाहे तो भी वक़्त थोड़ा है, इस थोड़े से वक़्त में पता नहीं नफरतों के लिए कहाँ से वक़्त निकल आता है

अल्लाह तआला नफरतों से महफूज फरमाये,मुहब्बत प्यार और उल्फ़त भरी ज़िन्दगी अता फरमाए, अल्लाह तआला हमें अच्छी ज़िन्दगी गुजारने की तौफीक दे.

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