Sohbat (Sex) Ka Islami Tariqa Part-2 हमबिस्तरी का इस्लामी तरीका hindi

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Sohbat Ka Islami Tariqa Part-2 | सोहबत करने का इस्लामी तरीक़ा:

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Sohbat Ka Islami Tariqa
बीबी से मिलने का शरीअत में तरीका पूरा जरूर पड़े ।
#आदाबे_सोहबत (जिमाअ) ताल्लुक़ात के बयान

मियां बीवी के ताल्लुक़ से कुछ ऐसे मसले मसायल हैं जिनका जानना उनको ज़रूरी है मगर वो नहीं जानते,क्यों,क्योंकि दीनी किताब हम पढ़ते नहीं और आलिम से पूछने में शर्म आती है मगर अजीब बात है कि मसला पूछने में तो हमें शर्म आती है मगर वही ग़ैरत उस वक़्त मर जाती है जब दूल्हा अपने दोस्तों को और दुल्हन अपनी सहेलियों को पूरी रात की कहानी सुनाते हैं,खैर ये Article सेव करके रखें और अपने दोस्तों और अज़ीज़ो में जिनकी शादियां हों उन्हें तोहफे के तौर पर ये Article सेंड करें
  • हज़रत इमाम गज़ाली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि जिमअ यानि सोहबत करना जन्नत की लज़्ज़तों में से एक लज़्ज़त है.
    [कीमियाये सआदत,सफह 496]
  • हज़रत जुनैद बग़दादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि इंसान को जिमअ की ऐसी ही ज़रूरत है जैसी गिज़ा की क्योंकि बीवी दिल की तहारत का सबब है
    [अहयाउल उलूम,जिल्द 2,सफह 29]
  • हदीसे पाक में आता है कि जिस तरह हराम सोहबत पर गुनाह है उसी तरह जायज़ सोहबत पर नेकियां हैं.
    [मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 324]
  • उम्मुल मोमेनीन सय्यदना आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु तआला अंहा से मरवी है कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि जब एक मर्द अपनी बीवी का हाथ पकड़ता है तो उसके नामये आमाल में एक नेकी लिख दी जाती है और जब उसके गले में हाथ डालता है तो दस नेकियां लिखी जाती है और जब उससे सोहबत करता है तो दुनिया और माफीहा से बेहतर हो जाता है और जब ग़ुस्ले जनाबत करता है तो पानी जिस जिस बाल पर गुज़रता है तो हर बाल के बदले एक नेकी लिखी जाती है और एक गुनाह कम होता जाता है और एक दर्जा बुलंद होता जाता है
    [गुनियतुत तालेबीन,सफह 113]
  • हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से एक शख्स ने अर्ज़ किया कि मैंने जिस लड़की से शादी की है मुझे लगता है कि वो मुझे पसंद नहीं करेगी तो आप फरमाते हैं कि मुहब्बत खुदा की तरफ से होती है और नफरत शैतान की तरफ से तो ऐसा करो कि जब तुम पहली बार उसके पास जाओ तो दोनों वुज़ु करो और 2 रकात नमाज़ नफ्ल शुकराना इस तरह पढ़ो कि तुम इमाम हो और वो तुम्हारी इक़्तिदा करे तो इन शा अल्लाह तुम उसे मुहब्बत और वफा करने वाली पाओगे
    [गुनियतुत तालेबीन,सफह 115]
  • नमाज़ के बाद शौहर अपनी दुल्हन की पेशानी के थोड़े से बाल नर्मी और मुहब्बत से पकड़कर ये दुआ पढ़े अल्लाहुम्मा इन्नी असअलोका मिन खैरेहा वखैरे मा जबलतहा अलैहे व आऊज़ोबेका मिन शर्रेहा मा जबलतहा अलैह तो नमाज़ और इस दुआ की बरकत से मियां बीवी के दरमियान मुहब्बत और उल्फत क़ायम होगी इन शा अल्लाह
    [अबु दाऊद,सफह 293]
  • खास जिमा के वक़्त बात करना मकरूह है इससे बच्चे के तोतले होने का खतरा है उसी तरह उस वक़्त औरत की शर्मगाह की तरह नज़र करने से भी बचना चाहिये कि बच्चे का अंधा होने का अमकान है युंही बिल्कुल बरहना भी सोहबत ना करें वरना बच्चे के बे-हया होने का अंदेशा है
    [फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 46]
  • हमबिस्तरी के वक़्त बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़ना सुन्नत है मगर याद रहे कि सतर खोलने से पहले पढ़ें और सबसे बेहतर है कि जब कमरे में दाखिल हो तब ही बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़कर दायां क़दम अन्दर दाखिल करें अगर हमेशा ऐसा करता रहेगा तो शैतान कमरे से बाहर ही ठहर जाएगा वरना वो भी आपके साथ शरीक होगा
    [तफसीरे नईमी,जिल्द 2,सफह 410]
  • आलाहज़रत फरमाते हैं कि औरत के अंदर मर्द के मुकाबले 100 गुना ज़्यादा शहवत है मगर उस पर हया को मुसल्लत कर दिया गया है तो अगर मर्द जल्दी फारिग हो जाये तो फौरन अपनी बीवी से जुदा ना हो बल्कि कुछ देर ठहरे फिर अलग हो
    [फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 183]
  • जिमअ के वक़्त किसी और का तसव्वुर करना भी ज़िना है और सख्त गुनाह और जिमअ के लिए कोई वक़्त मुकर्रर नहीं हां बस इतना ख्याल रहे कि नमाज़ ना फौत होने पाये क्योंकि बीवी से भी नमाज़ रोज़ा एहराम एतेकाफ हैज़ व निफास और नमाज़ के ऐसे वक़्त में सोहबत करना कि नमाज़ का वक़्त निकल जाये हराम है.
    [फतावा रज़वियह,जिल्द 1,सफह 584]
  • मर्द का अपनी औरत की छाती को मुंह लगाना जायज़ है मगर इस तरह कि दूध हलक़ से नीचे ना उतरे ये हराम है लेकिन ऐसा हो भी गया तो तौबा करे मगर इससे निकाह पर कोई फर्क नहीं आता
    [दुर्रे मुख्तार,जिल्द 2,सफह 58]
    [फतावा रज़वियह,जिल्द ,सफह 568]
  • मर्द व औरत को एक दूसरे का सतर देखना या छूना जायज़ है मगर हुक्म यही है कि मक़ामे मख़सूस की तरफ ना देखा जाये कि इससे निस्यान का मर्ज़ होता है और निगाह भी कमज़ोर हो जाती है
    [रद्दुल मुख्तार,जिल्द 5,सफह 256]
  • मर्द नीचे हो और औरत ऊपर,ये तरीका हरगिज़ सही नहीं है इससे औरत के बांझ हो जाने का खतरा है.
    [मुजरबाते सुयूती,सफह 41]
  • फरागत के बाद मर्द व औरत को अलग अलग कपड़े से अपना सतर साफ करना चाहिए क्योंकि दोनों का एक ही कपड़ा इस्तेमाल करना नफरत और जुदायगी का सबब है
    [कीमियाये सआदत,सफह  266]
  • एहतेलाम होने के बाद या दूसरी मर्तबा सोहबत करना चाहता है तब भी सतर धोकर वुज़ु कर लेना बेहतर है वरना होने वाले बच्चे को बीमारी का खतरा है
    [क़ुवतुल क़ुलूब,जिल्द 2,सफह 489]
  • ज़्यादा बूढ़ी औरत से या खड़े होकर सोहबत करने से जिस्म बहुल जल्द कमज़ोर हो जाता है उसी तरह भरे पेट पर सोहबत करना भी सख्त नुकसान देह है
    [बिस्तानुल आरेफीन,सफह 139]
  • जिमअ के बाद औरत को दाईं करवट पर लेटने का हुक्म दें कि अगर नुत्फा क़रार पा गया तो इन शा अल्लाह लड़का ही होगा.
    [मुजरबाते सुयूती,सफह 42]
  • जिमअ के फौरन बाद पानी पीना या नहाना सेहत के लिए नुकसान देह है हां सतर धो लेना और दोनों का पेशाब कर लेना सेहत के लिए फायदे मंद है.
    [बिस्तानुल आरेफीन,सफह 138]
  • तबीब कहते हैं कि हफ्ते में दो बार से ज़्यादा सोहबत करना हलाकत का बाईस है, शेर के बारे में आता है कि वो अपनी मादा से साल में एक मर्तबा ही जिमअ करता है और उसके बाद उस पर इतनी कमजोरी लाहिक़ हो जाती है अगले 48 घंटो तक वो चलने फिरने के काबिल भी नहीं रहता और 48 घंटो के बाद जब वो उठता है तब भी लड़खड़ाता है.
    [मुजरबाते सुयूती,सफह 41]
  • औरत से हैज़ की हालत में सोहबत करना जायज नहीं अगर चे शादी की पहली रात ही क्यों ना हो और अगर इसको जायज़ जाने जब तो काफिर हो जायेगा युंही उसके पीछे के मक़ाम में सोहबत करना भी सख्त हराम है.
    [बहारे शरीयत,हिस्सा 2,सफह 78]
  • मगर हैज़ की हालत में वो अछूत भी नहीं हो जाती जैसा कि बहुत जगह रिवाज है कि फातिहा वगैरह का खाना भी नहीं बनाने देते ये जिहालत है,बल्कि उसके साथ सोने में भी हर्ज नहीं जबकि शहवत का खतरा ना हो वरना अलग सोये.
    [फतावा मुस्तफविया,जिल्द 3,सफह 13]
  • क़यामत के दिन सबसे बदतर मर्द व औरत वो होंगे जो अपनी राज़ की बातें अपने दोस्तों को सुनाते हैं.
    [मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 464]
  • औरत से जुदा रहने की मुद्दत 4 महीना है इससे ज़्यादा दूर रहना मना है.
    [तारीखुल खुलफा,सफह 97]
  • आलाहज़रत फरमाते हैं कि हमल ठहरने से रोकने के लिए दवा या कोई और तरीका इस्तेमाल करना या हमल ठहरने के बाद उसमें रूह फूकने की मुद्दत 120 दिन है तो अगर किसी उज़्रे शरई मसलन बच्चा अभी छोटा है और ये दूसरा बच्चा नहीं चाहता तो हमल साकित करना जायज़ है मगर रूह पड़ने के बाद हमल गिराना हराम और गोया क़त्ल है.
    [फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 524]
  • अगर तोगरे में क़ुरान की आयत लिखी है तो जब तक उस पर कोई कपड़ा ना डाला जाए उस कमरे में सोहबत करना या बरहना होना बे अदबी है हां क़ुरान अगर जुज़दान में है तो हर्ज नहीं युंही किबला रु होना भी मना है.
    [फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 522]
  • जो बच्चा समझदार हो उसके सामने सोहबत करना मकरूह है.
    [अलमलफूज़,हिस्सा 1,सफह 14]
  • किसी की दो बीवियां हैं अगर चे उसका किसी से पर्दा नहीं मगर औरत का औरत से पर्दा है तो एक के सामने दूसरे से सोहबत करना जायज़ नहीं.
    [फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह २०७]

Nikah Ke Ta'alluk Se Chand Hadees:

निकाह दरहकीकत एक ऐसा ताल्लुक हैं जो औरत मर्द के दरम्यान एक पाकदामन रिश्ता हैं जो मरने के बाद भी ज़िन्दा रहता हैं बल्कि निकाह हैं ही इसलिये के लोगो के दरम्यान मोहब्बत कायम रह सके| जैसा के नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने फ़रमाया-
हदीस: हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ी अल्लाहु अनहु) से रिवायत हैं के रसूलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया – के ‘आपस मे मोहब्बत रखने वालो के लिये निकाह जैसी कोई दूसरी चीज़ नही देखी गयी|’
– (इब्ने माजा)

हदीसे नबवी से साबित हैं के निकाह औरत मर्द के साथ-साथ दरअसल दो खानदान का भी रिश्ता होता हैं जो निकाह के बाद कायम होता हैं|इसका अव्वल तो ये फ़ायदा होता हैं के अगर एक मर्द और औरत की निकाह से पहले मोहब्बत मे हो तो गुनाह के इमकान हैं लेकिन अगर उनका निकाह कर दिया जाये तो गुनाह का इमकान नही रहता. दूसरे उनकी मोहब्बत हमेशा के लिये निकाह मे तबदील हो जाती हैं जो जायज़ हैं साथ ही दो अलग-अलग खानदान आपस मे एक-दूसरे से वाकिफ़ होते हैं और एक नया रिश्ता कायम होता हैं|मोहब्बत के साथ-साथ निकाह नफ़्स इन्सानी के सुकुन का भी ज़रिय हैं जिससे इन्सान सुकुन और फ़ायदा हासिल करता हैं|

अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-
अलकुरान: और उसी की निशानियो मे से एक ये हैं की उसने तुम्हारे लिये तुम्ही मे से बीवीया पैदा की ताकि तुम उनके साथ रहकर सुकून हासिल करे और तुम लोगो के दरम्यान प्यार और उलफ़त पैदा कर दी| इसमे शक नही गौर करने वालो के लिये यकिनन बहुत सी निशानिया हैं|
– (सूरह रूम सूरह नं 30 आयत नं 21)

Baccha Paida Hone Ke Ta'alluk Se Chand Hadith:

Hazrat Abu Hurairah Radiallahu Taala Anhu Se Riwayat He Ki Rasoollallah Sallallahu Alayhi Wasallam Ke Pass Ek Aarabi(Dehati) Aaya Aur Kaha Ki Ya Rasoollallah Sallallahu Alayhi Wasallam Meri Biwi Ne Kaala Ladka Paida Kiya Hai...
Aap Sallallahu Alayhi Wasallam Ne Pucha Tumharey Pass Oont(Camel) Hay?
Usney Kaha Haan
Aap Sallallahu Alaihi Wasallam Ne Farmaya Unke Rang Kaisey Hai?
Usne Kaha Surkh 
Aap Sallallahu Alaihi Wasallam Ne Irshad Farmaya Usmein Koi Khaki Rang Ka Bhi Hay?
Usney Kaha Haan He
To Aap Sallallahu Alayhi Wasallam Ne Irshad Farmaya Phir Ye Kaha Se Aa Gaya?
Usney Kaha Mera Ye Khayal Hay Ki Kisi Rag Ne Ye Rang (Apney Aaba Wa Ajdad Se – Ancestors Se) Khinch Liya Hay Jiski Wajah Se Aisa Oont (Camel) Paida Hua Hay
Aap Sallallahu Alayhi Wasallam Ne Irshad Farmaya Ki Phir Aisa Bhi Mumkin Hay Ki Tere Bete Ka Rang Kisi Rag Ne (Ancestors Se ) Khinch Liya Ho.
[Sahih Bukhari, Vol8, 6847]

Hazrat Anas Radi-Allahu Taala Anhu Se Riwayat Hay Ki Rasoollallah Sallallhu-Alayhi-Wasallam Ne Irshad Farmaya Mard Ki Mani Ghaadih Aur Safed Hoti Hay Aur Aurat Ki Mani Zard Aur Patli Hoti Hay Jo Koi Ek Dusrey Se Sabqat Le Jaye (Yani Jiski Mani Pahele Nikal Jaye) To Bachcha Usi Ki Shakal Ka Paida Hota Hay.
[Sunan Nasaii, Vol 1, 202]

Ummul Mominah Hazrat Ayesha Siddiqa Radi-Allahu- Taala Anha Se Rivayat Hay Ki Rasoollallah Sallallhu-Alayhi-Wasallam Ne Irshad Farmaya Jab Aurat Ka Nutfa Mard K Nutfe Par Ghalib Ho To Bachcha Apne Nanihal Ki Mushabeh Hota Hay, Aur Jab Mard Ka Nutfa Aurat K Nutfe Par Ghalib Ho To Bachcha Dadihaal Par Parhta Hay.
[Sahih Muslim, Vol1, 715]

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